अगर आप की ब्लड रिपोर्ट आती है और इस मे यदि ऐंटिजन-एच और ऐंटिजन-ओ होते हैं तो आप की रिपोर्ट को पॉजिटिव माना जाता है। इसके साथ ही सीरम में ऐंटिबॉडीज की जांच की जाती है और ऐंटिबॉडीज का स्तर नापा जाता है। इन सभी की जांच के बात इस बात को पुख्ता किया जाता है कि रोगी का टेस्ट नेगेटिव (टायफाइड नहीं है) या पॉजिटिव (टायफाइड है) है। यानी रोगी को टायफाइड है या नहीं है इसका पता ब्लड सीरम (विडाल टेस्ट) से कर सकते हैं.
विडाल टेस्ट
विडाल टेस्ट का नाम इस जांच को विकसित करनेवाले वैज्ञानिक जॉर्जेज फर्नैंड विडाल नाम पर रखा गया है। इसलिए इसे विडाल टेस्ट कहते हैं। इस परीक्षण के लिए सबसे पहले संक्रमित रोगी के खून का नमूना (Blood Sample) लिया जाता है। फिर इस ब्लड से सीरम निकालकर अलग किया जाता है।
यदि एंटीजन ओ और एंटीजन एच के लिए विडाल टेस्ट रेंज 1:160 टाइटेनियम से अधिक या बराबर है, तो यह टाइफाइड संक्रमण का संकेत देता है।
पर डॉक्टर का कहना है कि विडाल टायफायड में बुखार के तकरीबन एक सप्ताह के बाद ही पॉजिटिव आता है। कारण कि जब तक ऐंटीबॉडी नहीं बनेंगी, विडाल पॉजिटिव आ नहीं सकता। फिर यह मलेरिया-गठिया-रोग-हेपेटाइटिस इत्यादि में भी पॉज़िटिव आ जाया करता है। इसलिए यह टायफायड के लिए बहुत स्पेसिफिक जांच नहीं।
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