नीचता की पराकाष्ठा : नौकर से सावधान

यह उन दिनों की बात है जब मैं अपनी थीसिस लिखने के उद्देश्य से अपने गाइड के घर पर रुका हुआ था। गाइड के घर का एक केयरटेकर था, जिसका नाम K.R. था।गर्मी बहुत थी और पानी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता था। इसलिए मैंने K.R. के साथ एक डील की: वह मुझे रोज एक बोतल पानी देगा और बदले में मैं उसे चाय पिलाऊँगा। हर सुबह उसका कॉल आता और हम दोनों सड़क पार कर चाय पीने जाते। दो दिन बाद उसने पानी देना बंद कर दिया, फिर भी मैंने अपना वादा निभाया और उसके मॉर्निंग कॉल के आते ही उसके साथ चाय पीने निकल जाता।दिन यूं ही बीतते गए और एक दिन उसने मुझे बगल वाले मकान की कोल्ड स्टोरेज दुकान दिखाई। उसकी उत्सुकता देखकर मैंने उसे मॉर्निंग चाय के साथ शाम में कोल्डड्रिंक भी पिलाना शुरू कर दिया क्योंकि मेरे गाइड का मूड और

 भाषा वही समझता था, मेरे तो कभी समझ में नहीं आया।एक दिन मैंने खरबूजा खरीदा और सोचा K.R. के लिए भी लेता चलूं। उसने सबसे बड़ा वाला चुना और मैंने टीना में फ्रिज में रख दिया। लैब से आने के बाद देखा कि सारे खरबूजे गायब हो चुके हैं। पूछताछ करने पर पता चला कि उसकी वाइफ ने मार्केट से खरबूजा मंगवाया था और वही K.R. दे आया। मैंने इस बात को भूल गया।फिर एक दिन मैंने अपने गाइड के लिए सुगरफ्री कोल्डड्रिंक की 1.25 लीटर की बोतल लाया और ठंडी करने के लिए फ्रिज में रख दी। कुछ देर बाद K.R. ने उसमें से 300 ml निकाल लिया और लैब चला गया। शाम को गाइड के साथ आया तो सोचा कि उन्हें सुगरफ्री कोल्डड्रिंक पिलाता हूं। फ्रिज की तरफ बढ़ा तो देखा कि बोतल में 200 ml से भी कम कोल्डड्रिंक बची थी और उसमें काफी पानी मिला दिया गया था। मैंने फिर भी अपने गाइड को 200 ml कोल्डड्रिंक पिलाई।अगले दिन शाम को कोल्डड्रिंक लाया और K.R. ग्लास लेने चला गया (कांच की)। एक ग्लास में 50 ml पानी पहले से भरा हुआ था और दूसरी खाली। जैसे ही मैंने खाली वाली ग्लास में कोल्डड्रिंक डाली और कुछ पानी वाली ग्लास में डालने चला तो उसने तेजी से ग्लास अपनी तरफ खींच ली। दो दिन बाद फिर पानी भरकर ग्लास लाया, लेकिन मेरी नजर पड़ गई। मैंने देखा कि जैसे ही पानी वाली ग्लास में पहले पानी डाला, K.R. ने तुरंत बिना देर किए मेरी तरफ खिसका दिया।अब मुझे गुस्सा आया और तीसरे दिन यह बात K.R. को बोल दी। उसकी बोलती बंद हो गई, लेकिन वह इतना बुजुर्ग था कि मैंने अकेला रहने का प्लान करने लगा, लेकिन थीसिस के काम में गाइड का सहयोग महत्वपूर्ण था, इसलिए वहाँ रहना जरूरी था।

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