PRESIDENT RULE भारत में अब तक 134 बार राष्ट्रपति शासन! जानिए क्यों और किन परिस्थितियों में लगाया जाता है प्रेसिडेंट रूल?
Introduction
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में राज्य सरकारों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। लेकिन कई बार परिस्थितियाँ ऐसी बन जाती हैं जब केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में संविधान के अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राज्य में राष्ट्रपति शासन (President's Rule) लगाया जाता है। भारत में आज़ादी के बाद से अब तक 134 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है, जिसमें मणिपुर और उत्तर प्रदेश सबसे आगे हैं – इन दोनों राज्यों में 11-11 बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि राष्ट्रपति शासन क्या होता है, इसे कब और क्यों लागू किया जाता है, और इसके लागू होने पर राज्य में क्या बदलाव होते हैं।
राष्ट्रपति शासन क्या है?
राष्ट्रपति शासन उस स्थिति को कहा जाता है जब किसी राज्य में संविधान के अनुसार सरकार नहीं चलाई जा सकती और राज्य सरकार को बर्खास्त कर दिया जाता है। तब राज्य का प्रशासन सीधे केंद्र सरकार और भारत के राष्ट्रपति के नियंत्रण में आ जाता है।
राष्ट्रपति शासन कब और क्यों लगाया जाता है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356 कहता है कि यदि किसी राज्य की सरकार संविधान के अनुसार काम करने में विफल हो जाती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
निम्नलिखित परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है:
- राजनीतिक अस्थिरता – यदि किसी भी पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं हो और सरकार बनाने में असफलता हो।
- बहुमत साबित करने में विफलता – यदि सत्तारूढ़ दल विधानसभा में बहुमत साबित न कर पाए।
- विधानसभा का निलंबन या भंग होना।
- कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या – जैसे दंगे, हिंसा, आतंकवाद आदि।
- भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता या संवैधानिक उल्लंघन।
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य में क्या होता है?
- राज्य की विधानसभा को निलंबित या भंग कर दिया जाता है।
- राज्यपाल की भूमिका और अधिकार बढ़ जाते हैं, लेकिन वे केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के निर्देशों पर काम करते हैं।
- राज्य की कार्यपालिका राष्ट्रपति के अधीन आ जाती है।
- राज्य के सभी प्रशासनिक निर्णय केंद्र सरकार के माध्यम से लिए जाते हैं।
किन राज्यों में सबसे अधिक राष्ट्रपति शासन लगा?
क्या राष्ट्रपति शासन सही है या गलत?
पक्ष में तर्क:
- जब राज्य सरकार विफल हो जाए, तब जनता की सुरक्षा और प्रशासन के लिए यह आवश्यक होता है।
- संविधान में यह एक आपातकालीन प्रावधान है, जो लोकतंत्र की रक्षा करता है।
विपक्ष में तर्क:
- कई बार इसे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भी उपयोग किया गया है।
- इससे संघीय ढांचे को नुकसान पहुंच सकता है।
निष्कर्ष:
134 बार राष्ट्रपति शासन का लगाया जाना यह दर्शाता है कि भारत में राज्यों की राजनीतिक स्थिरता एक बड़ी चुनौती रही है। हालांकि यह एक संवैधानिक व्यवस्था है, लेकिन इसका प्रयोग सिर्फ जरूरी स्थितियों में ही होना चाहिए, ताकि लोकतंत्र की आत्मा बनी रहे।
FAQs
Q1. राष्ट्रपति शासन कितने समय के लिए लगाया जा सकता है?
A1. प्रारंभिक अवधि 6 महीने की होती है, जिसे अधिकतम 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है (कुछ विशेष परिस्थितियों में)।
Q2. क्या सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति शासन को चुनौती दे सकता है?
A2. हाँ, सुप्रीम कोर्ट 1994 के SR Bommai केस के बाद राष्ट्रपति शासन की न्यायिक समीक्षा कर सकता है।
Q3. क्या राष्ट्रपति शासन के दौरान चुनाव हो सकते हैं?
A3. हाँ, निर्वाचन आयोग की अनुशंसा और अनुकूल परिस्थितियों में चुनाव कराए जा सकते हैं।
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